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9.14 करोड़ बच्चों, किशोर और किशोरियों को पेट के कीड़े मारने की दवा खिलाने का रखा गया था लक्ष्य

लखनऊ: यूपी में इस बार के कृमि मुक्त अभियान में 84 प्रतिशत लक्षित आबादी ने पेट के कीड़े मारने की दवा एल्बेन्डाजॉल खाई है। जबकि पिछले अभियान में 79 प्रतिशत बच्चों, किशोर और किशोरियों ने ही एल्बेन्डाजॉल का सेवन किया था। इस दवा के सेवन से जहां स्वास्थ्य व पोषण में सुधार होता है वहीं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एनीमिया नियंत्रण रहता है। साथ ही बच्चों में सीखने की क्षमता बढ़ती है।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में दवा सेवन करवाने में इस वर्ष जो उपलब्धि मिली, उसके पीछे स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अथक प्रयास के साथ जनमानस की जागरूकता का बड़ा सहयोग है। हम स्वास्थ व पोषित समाज निर्माण की ओर लगातार अग्रसर हैं। आशा है कि प्रदेश की नई पौध अन्य के मुकाबले ज्यादा स्वस्थ होगी।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबंधक डॉ. मनोज शुक्ल ने बताया कि फरवरी में कृमि मुक्त अभियान के दौरान शैक्षणिक संस्थानों में  और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से  पेट केे कीड़े मारने की दवा एल्बेन्डाजॉल खिलाने के लिए अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान में प्रदेश के 69 जिलों के 758 ब्लॉक में एक वर्ष से 19 वर्ष तक के कुल 9.14 करोड़ बच्चों, किशोर और किशोरियों को एल्बेन्डाजॉल खिलाने का लक्ष्य रखा गया था। इस दौरान कुल 7 करोड़ 69 लाख 77 हजार 361 ने एल्बेन्डाजॉल का सेवन किया। डॉ मनोज ने बताया कि पिछले वर्ष अगस्त में कृमि मुक्त अभियान चलाया गया था, इस दौरान प्रदेश में लक्ष्य के सापेक्ष 79 प्रतिशत लक्षित बच्चों, किशोर एवं किशोरियों को कृमि मुक्त की दवा खिलाई गई थी, इस वर्ष यह आंकड़ा लक्ष्य के सापेक्ष 84 प्रतिशत है जो विगत वर्ष की तुलना में 05 प्रतिशत अधिक है।
उन्होंने बताया कि शरीर में कृमि संक्रमण होने पर पेट दर्द, दस्त, कमजोरी, उल्टी और भूख न लगना जैसी शिकायत आती है। यह संक्रमण नंगे पैर चलने, जमीन पर गिरे हुए खाद्य पदार्थ को उठाकर खा लेने आदि से हो जाता है। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। वह एनीमिया से ग्रसित हो जाता है। एल्बेन्डाजॉल खा लेने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। इससे शरीर में आयरन की शोषक क्षमता बढ़ जाती है और शरीर में एनीमिया यानि खून की कमी दूर होती है। यह अभियान एक फरवरी को चलाया गया था। अभियान में किन्हीं कारणों से छूटे बच्चों के लिए पांच फरवरी को मापअप राउन्ड चलाया गया था।


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