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एअर क्वालिटी मैनेजमेंट इन द इन्डो-गैंगेटिक प्लान पर कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ:  वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए एयरशेड एपरोच द्वारा एअर क्वालिटी मैनेजमेंट इन द इन्डो-गैंगेटिक प्लान पर होलट हॉलीडे इन में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री  डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने किया।
    
 इस अवसर पर डा0 सक्सेना ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार, उत्तर प्रदेश राज्य और विश्व बैंक के सहयोग से सिन्धु गंगा के मैदान में वायु गुणवत्ता प्रबंधन’ हेतु कार्यशाला का आयोजन एक सराहनीय पहल है। इस कार्यशाला के माध्यम से रणनीति विकसित करने और आईजीपी में वायु गुणवत्ता प्रबंधन पहल के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विभिन्न राज्यों, विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच चर्चा की सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यूपी के 17 non-attainment cities cities के लिए सिटी एक्शन प्लान को मंजूरी दे दी है। राज्य ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लागत अनुमान और समयसीमा पर अधिक विवरण के साथ कार्य योजनाएं भी तैयार की हैं, जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक अच्छा प्रयास माना गया है।

 वर्ष 2022 में स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पहल के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के नौ शहरों को वायु गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिए चुना गया था, जिनमें से पांच को वायु गुणवत्ता को सुधारने में उनके द्वारा किए गये प्रयासों को मान्यता दी गई थी।
     इंडो गैंगेटिक प्लेन (आईजीपी) क्षेत्र, आठ भारतीय राज्यों बिहार, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़ और दिल्ली के साथ-साथ नेपाल और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों और पूरे बांग्लादेश में फैला हुआ है। यह क्षेत्र उत्सृजन स्त्रोतों एवं मौसमी कारणों से अत्यधिक वायु प्रदूषण संकट का सामना करता है, जो इसे विश्व स्तर पर सबसे गंभीर प्रदूषित क्षेत्रों में से एक बनाता है। वायु प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो आईजीपी क्षेत्र के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों को प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों जैसी कमजोर वर्ग, तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित आबादी, जिसमें लाखों गरीब परिवार भी शामिल हैं, को अपने स्वास्थ्य के लिए जोखिम का सामना करना पड़ता है। विभिन्न क्षेत्र वायु प्रदूषण में अलग-अलग रूप से प्रभावित करते हैं, जिनमें औद्योगिक उत्सर्जन, परिवहन, कृषि पद्धतियाँ, घरेलू खाना पकाने और हीटिंग, निर्माणजनित धूल, कोयला एवं अन्य जीवाश्म ईंधन द्वारा बिजली उत्पादन और अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं। चुनौती इस तथ्य से और भी बढ़ गई है कि आईजीपी के भीतर अलग-अलग राज्य अकेले वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर सकते हैं। कई मामलों में, पड़ोसी राज्यों और यहां तक कि अन्य देशों से वायु प्रदूषण का योगदान घरेलू स्रोतों से अधिक है। औसतन, आईजीपी राज्यों के भीतर वायु प्रदूषण साद्रता का लगभग आधा हिस्सा पड़ोसी राज्यों या विदेशी स्रोतों से उत्पन्न होता है।

           कार्यशाला में पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के पर्यावरण विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव को आमत्रित किया गया। कार्यशाला में विश्व बैंक क्लीन एयर फण्ड, दक्षिण एशिया केएफडब्ल्यू डेवलपमेंट बैंक, स्वीट्जरलैण्ड दूतावास, कॉमनवेल्थ ऑफिस एवं विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में  मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, ने कार्याशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। सुश्री सिसेल फूमैन, निदेशक, रिजनल इंटीग्रेशन एण्ड इंगेजमेंट इन साउथ एशिया रीजन, विश्व बैंक ने वीडियो संदेश द्वारा सभी राज्यों एवं संस्थाओं के आमंत्रित प्रतिभागियों द्वारा वायु प्रदूषण निवारण के लिए वित्तीय सहायतित योजनाओं के विषय में बत्ताया।
     
कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र में एयरशेड अप्रोच पर विभिन्न राज्यों द्वारा की गई पहल पर चर्चा की गयी। जिसमें पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के पर्यावरण विभागों के अपर मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव द्वारा अपने-अपने राज्यों के एयरशेड पर अपने दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया गया। दूसरे तकनीकी सत्र में नरेश पाल गंगवार, अपर सचिव, द्वारा प्रस्तुतिकरण किया गया। तीसरे तकनीकी सत्र में Prof- Mukesh Sharma] IIT] Kanpur }kjk Emission Inventory of PMzs over IGP NCAP पर प्रस्तुतिकरण दिया। इसी सत्र में भारत सरकार तथा विभिन्न राज्यों के साथ मिलकर वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में सहयोगात्मक प्रयासों को सूचित करने के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों संदर्भों से बेस्ट प्रेक्टिस, नवीन प्रौद्योगिकियों और नीति ढांचे का पता लगाया जाएगा। विश्व बैंक के Mr-Jostein Nygard ,oa Ms-Karin Shepardson }kjk IGP Investment Program rFkk IGP Airshed cooperation के अंतर्गत वित्तीय सहयोग के संबंध में प्रस्तुतिकरण किया गया।

     चौथे तकनीकी सत्र में  संजीव सिंह, आई०ए०एस०, विशेष सचिव, वित्त, उत्तर प्रदेश,  क्रिस्टोफ क्रेपिन, प्रैक्टिस मैनेजर, साउथ एशिया रीजन एवं वाइस प्रेसिडेंट, इनवॉयरमेंट नेचुरल रिसोर्स एण्ड ब्लू इकोनॉमी ग्लोबल प्रेक्टिस, विश्व बैंक,  मुग्धा जैन, कंट्री लीड, इण्डिया, क्लीन एयर फण्ड, सुश्री कैरोलीन स्टेटर, दक्षिण एशिया केएफडब्ल्यू डवलपमेंट बैंक, डॉ जोनाथन डिमेन्ज, हेड ऑफ इंटरनेशनल कोऑपरेशन एण्ड काउंसलर, स्वीट्जरलैण्ड दूतावास, सुश्री अर्चना शुक्ला, सीनियर प्रोग्राम मैनेजर एण्ड कॉर्पोरेट लीड, कॉमन वेल्थ ऑफिस द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों, वायुमंडलीय मॉडलिंग और प्रदूषण स्रोत एट्रिब्यूशन अध्ययनों से डेटा और अनुसंधान निष्कर्षों को साझा और विश्लेषण किया गया।

     कार्यशाला का धन्यवाद ज्ञापन  आशीष तिवारी, सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश ने किया।


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