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382 करोड़ के एनएच घोटाले में दो तत्कालीन एसडीएम पर मुकदमा दर्ज, तीन गुना से ज्यादा दिया मुआवजा

अमेठी। लखनऊ-वाराणसी हाईवे (एनएच 56) से जुड़े दो बाईपास के लिए जमीन अधिग्रहण में तीन गुना से अधिक मुआवजा बांटने के मामले में अब शिकंजा कस गया है। 382 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में बुधवार को मुसाफिरखाना के दो तत्कालीन एसडीएम आरडी राम व अशोक कुमार कनौजिया के खिलाफ बुधवार को मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद वर्ष 2014 में एनएच-56 के चौड़ीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई थी। निर्माण से पहले एनएचएआई के अनुरोध पर राजस्व विभाग ने सड़क चौड़ीकरण के अलावा जगदीशपुर व मुसाफिरखाना में कस्बे से बाहर बाईपास का सर्वे किया। सर्वे के बाद अफसरों ने गलत तरीके से कृषि योग्य भूमि का मुआवजा सर्किल रेट का चार गुना निर्धारित करने के बजाय एनएच से सटी जमीन (इसका सर्किल रेट कई गुना अधिक) के बराबर निर्धारित कर दिया। मुआवजा निर्धारण व वितरण में गड़बड़ी सामने आने के बाद डीएम द्वारा इसकी जांच कराई गई तो घोटाला सामने आया।
मुसाफिरखाना तहसील में दो बाईपास के लिए अवार्ड व मुआवजा वितरण की कार्रवाई एसडीएम आरडी राम के कार्यकाल में शुरू हुई। आरडी राम 23 फरवरी 2015 से 18 सितंबर 2015 तक मुसाफिरखाना के एसडीएम रहे। इसके बाद 19 सितंबर 2015 को अशोक कुमार कनौजिया की तैनाती हुई और वह 25 मार्च 2016 तक एसडीएम रहे। जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। शासन के आदेश पर रजिस्ट्रार कानूनगो सुरेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव ने थाने में तहरीर देकर 382 करोड़ रुपये की शासकीय क्षति के लिए तत्कालीन एसडीएम आरडी राम व अशोक कुमार कनौजिया के अतिरिक्त अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। मुसाफिरखाना कोतवाल विनोद कुमार सिंह का कहना है कि तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जिन दो अफसरों के नाम है, उनके बारे में बताया जा रहा है कि एक रिटायर हो चुके हैं, जबकि एक शासन में तैनात है। इससे ज्यादा अभी जानकारी नहीं मिल पाई है।
यह है मामला-राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-56 लखनऊ-सुलतानपुर मार्ग के किमी. 64.100 से 113.670 तक में प्रथम जगदीशपुर बाईपास किमी. 80.690 से 97.935 तक तथा द्वितीय मुसाफिरखाना बाईपास किमी. 105.530 से 102.035 किमी. 103.885 से 110.165 तक चौड़ीकरण के लिए प्रस्तावित था। नियमानुसार आच्छादित ग्रामों के संबंध में आपत्तियों का निस्तारण करते हुए इनका गजट कराया गया तथा इसमें निजी कृषि भूमिगांव सभा की सरकारी भूमि का अभिनिर्णय घोषित किया गया। तत्कालीन अफसरों ने पूर्व प्रचलित राष्ट्रीय राजमार्ग से दूरस्थ स्थित अधिग्रहीत भूमि के गाटों का प्रतिकर का निर्धारण कपटपूर्ण एवं नियम विरूद्ध रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित भूमि की सर्किल दर के आधार पर कर दिया। इससे सरकार को 382 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।


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