भाषा विश्वविद्यालय में पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
लखनऊ : 03 सितंबर, 2022 के.एम.सी. भाषा विश्वविद्यालय में स्थापित पं. दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ में कुलपति प्रो. एन. बी. सिंह की अध्यक्षता में पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता विषय पर आज एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. मनोज अग्रवाल ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद को प्रतिपादित किया और इस दर्शन के तहत उन्होंने एक अनूठी आर्थिक व्यवस्था की कल्पना की। वह समकालीन आर्थिक विचारों के लिए आलोचनात्मक थे, क्योंकि उनके लिए उन विचारों में मानवतावादी मूल्य शामिल नहीं थे। पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक दृष्टिकोण वर्तमान समय में प्रासंगिक प्रतीत होते है, जो लोगों को एक स्थायी उपभोग स्वरूप और मानवतावादी दृष्टिकोण के साथ खुशहाल जीवन की ओर ले जा सकते हैं।
दीन दयाल उपाध्याय सेवा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीन कुमार मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने बचपन से ही बार-बार मृत्यु व गरीबी देखी। शिक्षा व सेवा उनके अंग - अंग में व्याप्त थी । उन्होंने सारे सुखो को त्याग कर जीवन को सेवा के लिए समर्पित किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के डॉ. प्रशान्त शुक्ला ने अपने व्याख्यान में कहा कि मानव को पूंजीवाद व समाजवाद की आवश्यकता नहीं है, बल्कि एकीकृत मानववाद व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आवश्यकता है।
कुलपति प्रो एन बी सिंह ने अपने उदबोधन में पं. दीनदयाल उपाध्याय के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक विचारों की प्रासंगिकता व सार्थकता को स्वीकार किया और शिक्षकों व छात्रों को उनके विचारों को आत्मसात करने का आग्रह किया। प्रो. चन्दना डे ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि पं. दीनदयाल के शैक्षिक विचारों का महत्व आज भी उतना ही हैं, जितना उनके समय में था। यही कारण है कि आज हमनें इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन उनके विचारों के मंथन के लिये किया है।
संगोष्ठी में विद्यार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये डॉ० लक्ष्मण सिंह, समनवयक, दीन दयाल उपाध्याय शोध पीठ ने कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन डॉ. रुचिता सुजॉय द्वारा किया गया। संगोष्ठी में अन्य शिक्षकगण व छात्र उपस्थित रहें।
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