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दिल्ली में बैठकर नौकरी दिलाने के नाम पर देशभर में ठगी करने वाले गिरोह को छत्तीसगढ़ पुलिस ने पकड़ा

रायगढ़ की एक कंपनी के मैनेजर को अबूधाबी में जीएम बनवाने के नाम पर की थी 80 लाख रुपये की ठगी

दिल्ली : छत्तीसगढ़ की स्टेट साइबर पुलिस सेल ने ऐसे ठग गैंग का भंडाफोड़ किया है, जिसने देशभर में अलग-अलग लोगोंं से नौकरी लगाने के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी की है। पुुलिस ने इस गैंग के 3 शातिर ठगों को दिल्ली NCR से गिरफ्तार किया है और इनके बाकी साथियों की ​​​​​​भी तलाश की जा रही है। पूरे मामला का खुलासा तब हो पाया है, जब आरोपियों ने रायगढ़ के निजी प्लांट के GM को आबूधाबी ( UAE) की एक कंपनी में GM के पद पर नौकरी लगाने के नाम पर उससे भी लगभग 82 लाख रुपए ठग लिए।

गिरफ्तार किए आरोपियों का नाम नितिन रावत (29), अभिषेक गुप्ता (24), विद्यापति मिश्रा (38) बताया गया है। जिन्हें अब यूपी के एक कोर्ट में पेश करने के बाद ट्रांजिट रिमांड पर रायपुर लाया गया है और कोर्ट के सामने पेश किया गया है।

खुद को कंसल्टेंसी का प्रतिनिधि बताया
दरअसल ये ठग गिरोह दिल्ली NCR से अपना नेटवर्क संचालित कर रहा था। आरोपियों ने रागयढ़ की एक कंपनी के GM अनु कुमार प्रसाद को भी ये कहते हुए झांसे में लिया कि वे अनु को आबूधाबी’( UAE) की एक कंपनी में GM के पद पर नौकरी दिलाएंगे। इतना ही नहीं उन्होंने साइन डॉट कॉम कंपनी और एनआर कंसल्टेंसी का खुद को प्रतिनिधि बताया जिसकी वजह से ही अनु प्रसाद उनकी बातों मे आ गए।

2014 से 2020 तक लिए पैसे
इसके बाद आरोपियों ने साल 2014 से 2020 के बीच पीड़ित से अलग-अलग प्रोसेस के लिए कुल 81 लाख 56 हजार 956 रुपए अपने खाते में जमा कराए। लेकिन इतने दिनों के बाद भी जब उसकी नौकरी वहां नहीं लगी तो पीड़ित समझ गया कि उसके साथ धोखाधड़ी की गई है। जिसके बाद उसने पूरे मामले की शिकायत गृह विभाग के स्पेशल डीजी आर.के विज से की फिर राज्य साइबर पुलिस थाना में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
6 सदस्यों की टीम कर रही थी जांच
चूंकि ठगी की राशि काफी बड़ी थी, इसलिए स्पेशल डीजी ने तुरंत सीनियर पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में एक 6 सदस्यीय टीम का गठन किया और जांच शुरू की। जिसमें पुलिस को पता चला कि आरोपी पूरी घटना को दिल्ली से अंजाम दे रहे हैं। इस बीच पुलिस टीम मौके पर रवाना हो गई और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

केरल और ओडिशा में भी मामला दर्ज, 7 लाख रुपए फ्रीज
पूछताछ में आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया और बताया कि वे दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में फर्जी कॉल सेंटर और कंसल्टेंसी बनाकर देश भर में फर्जीवाड़ा कर रहे थे। ठग बैंक खातों का इस्तेमाल भी दूसरे के नाम पर ही करते थे। मतलब दूसरों के खातों में पैसा जमा करवाते थे। ये इनके गिरोह के साइलेंट मेंबर होते हैं। इनके खातों का इस्तेमाल करने के लिए इन्हें 25 फीसदी तक रकम दी जाती है। इसकी जानकारी मिलने पर पुलिस ने कुछ ऐसे ही लोगों के खाते में जमा ठगी की राशि लगभग 7 लाख रुपए बैंकों से फ्रीज करवा लिए हैं। वहीं, इन आरोपियों द्वारा चलाए जा रहे फर्जी कंपनी के खिलाफ 2014 से ओडिशा और केरल में भी मामला दर्ज है।


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