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एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी भारत के जैसलमेर में,नीव रखी हैं...:8 लाख किताब, कीमत 16 करोड़, 5 हजार लोग बैठ सकते हैं

जैसलमेर : एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी भारत के जैसलमेर में,नीव रखी हैं...:8 लाख किताब, कीमत 16 करोड़, 5 हजार लोग बैठ सकते हैं

अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था ‘केवल एक चीज आपको पता होनी चाहिए और वो है लाइब्रेरी का एड्रेस।’आज वर्ल्ड बुक्स डे है। हम आपको दिखाते और बताते हैं एशिया की सबसे बड़ी अंडरग्राउंड लाइब्रेरी।इस लाइब्रेरी का पता है जैसलमेर-पोकरण के बीच बने भदिया राय माता मंदिर। लाइब्रेरी में 8 लाख से ज्यादा किताबें हैं, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए से ज्यादा है। यहां दुनिया के सभी ग्रंथ से लेकर नोवेल, पांडुलिपि और प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक के भाषण को सहेज कर रखा गया है। 41 साल पहले एक संत हरवंशसिंह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज ने इसकी स्थापना की थी। इलाके के लोग बताते हैं कि हरवंश संह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज ने मंदिर के पास ही एक गुफा में 9 साल तक तपस्या की थी।उनका सपना था कि वे यहां पर कॉलेज खोलें। वे जगदंबा सेवा समिति के संस्थापक भी थे। 21 अप्रैल 1981 को उन्होंने एक धर्मशाला और लाइब्रेरी के लिए नींव रखी थी। इसके बाद समिति के पदाधिकारी और स्थानीय लोगों की मदद से इसे सबसे बड़ी लाइब्रेरी बनाया गया।

 

संत हरवंशसिंह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज। जिन्होंने इस लाइब्रेरी की नींव रखी।

एक बार में बैठ सकते हैं 5 हजार से ज्यादा लोग
यह लाइब्रेरी इतनी बड़ी है कि इसमें एक बार में 5 हजार से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं। जगदंबा सेवा समिति इसकी देखरेख करती है। इस समिति में करीब 150 लोग है। किताबें खराब न हों, इसके लिए हर 5 से 6 महीने में विशेष तरह के लेप, पाउडर से इन्हें साफ किया जाता है। इस दौरान अलमारियों की भी सफाई की जाती है।


7 धर्मों के सभी ग्रंथ, हजारों साल पुरानी पांडुलिपी भी
लाइब्रेरी की देखभाल और संरक्षण का काम कर रही जगदंबा सेवा समिति के मूल सिंह राठौड़ बताते हैं कि इस लाइब्रेरी में 7 धर्मों का पूरा साहित्य मौजूद है। हजारों साल पांडुलिपी के साथ लॉ से संबंधित लगभग सभी किताबें हैं, जो आज तक पब्लिश हो चुकी हैं। इसके साथ ही वेदों की सम्पूर्ण शृंखलाएं, भारत का संविधान, जर्मन लेखक एफ मैक्स मुलर की रचनाएं, पुराण, इनसाइक्लोपिडिया की किताबें , आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषेद, देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण, विभिन्न शोध की किताबों सहित लाखों किताबों को यहां संभाल कर रखा है।

 

इस्लाम समेत करीब 7 धर्मों के ग्रंथ मौजूद


एक बार में बैठ सकते हैं 5 हजार से ज्यादा लोग
यह लाइब्रेरी इतनी बड़ी है कि इसमें एक बार में 5 हजार से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं। जगदंबा सेवा समिति इसकी देखरेख करती है। इस समिति में करीब 150 लोग है। किताबें खराब न हों, इसके लिए हर 5 से 6 महीने में विशेष तरह के लेप, पाउडर से इन्हें साफ किया जाता है। इस दौरान अलमारियों की भी सफाई की जाती है।7 धर्मों के सभी ग्रंथ, हजारों साल पुरानी पांडुलिपी भी
लाइब्रेरी की देखभाल और संरक्षण का काम कर रही जगदंबा सेवा समिति के मूल सिंह राठौड़ बताते हैं कि इस लाइब्रेरी में 7 धर्मों का पूरा साहित्य मौजूद है। हजारों साल पांडुलिपी के साथ लॉ से संबंधित लगभग सभी किताबें हैं, जो आज तक पब्लिश हो चुकी हैं। इसके साथ ही वेदों की सम्पूर्ण शृंखलाएं, भारत का संविधान, जर्मन लेखक एफ मैक्स मुलर की रचनाएं, पुराण, इनसाइक्लोपिडिया की किताबें , आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषेद, देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण, विभिन्न शोध की किताबों सहित लाखों किताबों को यहां संभाल कर रखा है।


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