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UKRAINE STILL STANDING: रूसी आक्रमण के एक साल बाद भी खड़ा है यूक्रेन, जानें इस जंग में दोनों देशों ने....

UKRAINE STILL STANDING: आज से एक साल पहले जब व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में 200,000सैनिकों को एक साथ भेजा तो ऐसा लगा था कि पुतिन कुछ ही दिनों के भीतर पूरे यूक्रेन का कब्जा लेंगे। 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर ताबड़तोड़ मिसाइल हमलों की बौछार कर दी थी। अब वहीं युद्ध को एक साल तो हो गया है, लेकिन हालात जस के तस हैं। रूस द्वारा शुरू की गई लड़ाई कीव पर कब्जा करने की जद्दोजहद तक जा पहुंची है। इस लड़ाई से न केवल रूस-यूक्रेन को नुकसान पहुंचा है, बल्कि पूरी दुनिया पर इसका असर पड़ा है।
कब पड़े थे जंग के बीज
आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन में असली जंग उस समय ही शुरू हो गई जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 21 फरवरी को यूक्रेन के 2 राज्यों डोनेट्स्क  और लुहांस्क को आजाद घोषित किया। पुतिन की इस घोषणा के बाद ही दोनों देशों में तनातनी बढ़ गई। यूक्रेन ने तो विरोध किया ही, लेकिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस समेत कई देशों ने इस कदम की आलोचना की। दरअसल, ये दोनों राज्य रूसी सीमा के साथ लगते हैं और यहां के लोगों की मांग और इससे रूस को खतरा बताते हुए पुतिन ने इसे आजाद करने की घोषणा की।
कैसे थे शुरुआती जंग के हालात
वहीं जंग की शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि यूक्रेन कुछ ही दिनों में हार मान लेगा, लेकिन पश्चिमी देशों से मिली मदद की वजह से यूक्रेन आज भी रूस पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है और युद्ध के मैदान में डटा है। एक साल में रूस ने कई यूक्रेनी शहरों और बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया है, कई इलाकों को तो खंडहर में तबदील कर दिया गया है। हालांकि यूक्रेन ने भी कई खोए हुए शहरों को जवाबी हमले में वापिस पाया है।
ऑपरेशन गंगा को अंजाम दे भारती ने भी दिखाया कूटनीति दम
यूक्रेन में युद्ध शुरू होते ही मिसाइल हमलों से लोग सहम उठे। चारों और चीख पुकार मच गई और कई शहरों से लोगों का निकलना शुरू हो गया। यूक्रेन में रह रहे दूसरे देशों के लोगों को निकालने के लिए रूस ने दो बार सीजफायर तक का एलान कर युद्ध भी रोका तो वहीं मानवीय गलियारे बनाकर भारतीयों समेत कई लोगों की वतन वापसी भी कराई गई।
यूक्रेन में पढ़ाई करने गए भारतीय छात्रों की वतन वापसी के लिए भी भारत सरकार ने कई कदम उठाए। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बातचीत कर भारतीयों की वापसी की बात की। इसके बाद पीएम ने ऑपरेशन गंगा शुरू करने का एलान किया और करीब 250 से ज्यादा हवाई जहाजों के साथ कार्गो विमानों को भी यूक्रेन भेजा गया। इससे 20 हजार भारतीयों की वापसी सुनिश्चित हुई। इस ऑपरेशन की देखरेख 4 केंद्रीय मंत्रियों को दी गई थी। इस दौरान एक ऐसी घटनी भी घटी जिसने भारत का नाम और रूस की दोस्ती को भी जगजाहिर किया। दरअसल, रूस जब यूक्रेन पर हमला कर रहा था तभी भारतीय तिरंगे के साथ एक बस लोगों को लेकर निकल रही थी। भारतीय झंडा देखते ही रूसी सैनिकों ने बमबारी रोक दी और बस को आराम ने निकलने दिया।
इस युद्ध ने यूक्रेन के साथ-साथ दुनिया को भी झटका
रूस-यूक्रेन युद्ध का असर इन दोनों देशों के साथ पूरी दुनिया पर पड़ा है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। IMF ने वैश्विक विकास दर को भी 3.2 से घटाकर 2.9 कर दिया तो वहीं वैश्विक महंगाई में भी इजाफा देखने को मिला है। दुनिया को कुल 32 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रूस पर अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी समेत कई देशों ने व्यापार के साथ कई प्रतिबंध लगाए हैं। इसके जवाब में रूस ने भी कई देशों में तेल और गैस की आपूर्ति रोक दी, जिससे सभी को नुकसान हुआ है।
हालांकि युद्ध अभी जारी हैऔर दोनों में से कोई भी पीछे हटते नहीं दिख रहा है। वैसे इस युद्ध में यूक्रेन ने काफी हद तक रूस को पिछे ढकेला है, लेकिन अभी भी यूक्रेन को कहीं से भी इस जंग में जीत मिलती नजर नही आ रही है। इस युद्ध ने रूस के हाथ भी बुरी तरह से झुलस चुके है, यूक्रेन इस जंग में रूस के लिए गले की हड्डी बन कर उभरा हैना तो उसे निगला जा सकता है ना ही उसके बहार निकाला जा सकता है।


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