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जौनपुर की कोर्ट ने बाहुबली धनंजय सिंह को सुनाई 7 साल की सजा, लोकसभा चुनाव लड़ने पर मंडराए खतरे के बादल

जौनपुर।नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का चार साल पहले अपहरण कराने, पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने, गालियां व धमकी देने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई गई है। ऐसे में वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। 
इससे पहले मंगलवार को अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ/एमपी एमएलए शरद कुमार त्रिपाठी की अदालत ने दोनों आरोपियों को अपहरण व रंगदारी में दोषी करार दिया था। साथ ही सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए छह मार्च की तिथि नियत की गई थी।

 

पूर्व सांसद धनंजय व संतोष विक्रम सिंह को इन धाराओं में हुई सजा

 

1-364 भारतीय दण्ड संहिता अपहरण के मामले में आजीवन कारावास या 10 वर्ष के लिए कठोर कारावास और जुर्माना।

2-386 भारतीय दंड संहिता रंगदारी मांगने के आरोप में 10 वर्ष व जुर्माना

3-120-बी भारतीय दंड संहिता षड़यंत्र में जिस प्रकार के अपराध के लिए लगा है षड्यंत्र ही दंड होगा।

4-504 भारतीय दंड संहिता में दो वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है।

5-506 भारतीय दंड संहिता में अधिकतम सात वर्ष व न्यूनतम दो वर्ष की सजा व जुर्माना दोनों हो सकता है।

 

मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके साथी विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तहरीर में कहा था कि रविवार की शाम को पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अपने साथी विक्रम सिंह के साथ दो व्यक्ति पचहटिया स्थित साइड पर पहुंचे। वहां फॉर्च्यूनर गाड़ी में वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास मोहल्ला कालीकुत्ती में ले गए। वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी की फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगे। वादी के इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगा। किसी प्रकार उनके चंगुल से निकलकर वादी लाइन बाजार थाने पहुंचा और आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग किया। पुलिस ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को उनके आवास से गिरफ्तार करके कोर्ट में दूसरे दिन पेश किया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। यहां की अदालत से जमानत निरस्त हुई। बाद में उच्च न्यायालय से जमानत मिली। धनंजय ने उस समय जेल जाते समय आरोप लगाया था कि राज्यमंत्री और पुलिस अधीक्षक ने षड्यंत्र कर उन्हें फंसाया है। पत्रावली सुनवाई के लिए एमपी एमएलए कोर्ट भेजी गई। वहां सुनवाई चल रही थी। इसी बीच हाईकोर्ट एमपी एमएलए से जुड़ी सभी पत्रावली संबंधित जिला अदालत में भेजने का आदेश दिया।

अपहरण और रंगदारी मांगने के मामले में दोषी करार दिए जाने के एक दिन बाद यानी 6 मार्च को बाहुबली पूर्व सांसद और जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह को अदालत ने सजा सुना दी. आपको बता दें कि अदालत ने धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई है और साथ ही उनपर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.  बता दें कि धनंजय सिंह को 2 साल से ज्यादा की सजा मिली है, ऐसे में वह अब आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। 

क्या कहता है जन प्रतिनिधि कानून?
जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार, अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाती है और अगले 6 साल तक वह चुनाव भी नहीं लड़ सकता है. मालूम हो कि धनंजय सिंह पूर्व सांसद थे, ऐसे में 2 साल से ज्यादा की अब उन्हें सजा मिल गई है और उनका अब चुनाव लड़ना भी मुश्किल हो गया है। 

क्या है मामला, जिसमें धनंजय सिंह को हुई है सजा?
जिला शासकीय अधिवक्ता सतीश पांडेय ने बताया कि नमामि गंगे परियोजना के प्रबंधक मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई, 2020 को जौनपुर के लाइनबाजार थाने में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी विक्रम के खिलाफ अपहरण और रंगदारी मांगने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में आरोप लगाया गया था कि विक्रम ने अपने दो साथियों के साथ पहले उनका अपहरण किया और फिर उन्हें पूर्व सांसद धनंजय सिंह के आवास पर ले गया.  उन्होंने बताया कि सिंघल ने आरोप लगाया था कि वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए धमकी देने के बाद रंगदारी मांगी। 


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