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98 साल की उम्र में जेल से रिहा हुआ बुजुर्ग, जब कोई नहीं आया लेने तो आजमगढ़ के निवासी जेल अधीक्षक ने की मदद

अयोध्या। कारागार अधीक्षक शशिकांत मिश्र की पहल पर मंडल कारागार में निरुद्ध 98 वर्षीय बंदी रामसूरत की रिहाई के तय जुर्माना साढ़े 11 हजार रुपए समाजसेवी शैलेंद्र मोहन मिश्र उर्फ छोटे ने जमा कराया, जिसके बाद उनको रिहा कर दिया गया। उनकी रिहाई पर कोई भी उन्हें लेने नहीं आया जिस पर जेल कर्मियों ने सहृदयता दिखाई। जेल अधीक्षक ने उनके लिए ठंड से बचने के पूरे इंतजाम किए और फिर अपनी गाड़ी से बुजुर्ग को उनके गंतव्य तक छोड़ दिया। बुजुर्ग की रिहाई और पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए व्यवहार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
दरअसल, आजमगढ़ के दीदारगंज क्षेत्र के फुलेश गांव के रहने वाले जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्र ने बताया कि श्रीबाबा रघुनाथ दास जी की बड़ी छावनी अयोध्या के पुजारी व तत्कालीन महंत कौशल किशोर दास जी के शिष्य रामसूरत (98) को वर्ष 2019 में न्यायालय द्वारा कुमारगंज में हुई एक मारपीट के मामले में पांच वर्ष की सजा से दंडित किया गया था।
न्यायालय द्वारा उक्त बंदी का रिहाई आदेश आठ अगस्त 2022 को कारागार पर भेजा गया था, परंतु उस समय वह कोविड-19 के अंतर्गत 90 दिन की विशेष पैरोल पर थे। इस कारण रिहाई आदेश को 10 अक्टूबर 2022 को न्यायालय वापस कर दिया गया। उन्होंने बताया कि सात जनवरी 2023 को न्यायालय को पत्र लिखकर बंदी रामसूरत की रिहाई आदेश पुनः भेजने का अनुरोध किया गया, जिस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए न्यायालय द्वारा उक्त बंदी का रिहाई आदेश कारागार पर भेज दिया गया।
इसके बाद उनके अनुरोध पर भाजपा कार्यकर्ता व समाजसेवी शैलेंद्र मोहन मिश्र उर्फ छोटे द्वारा उक्त बंदी का जुर्माना 11,500 रुपए जमाकर रिहा कराया गया। बताया कि उक्त वृद्ध बंदी को जेल में उनका जमा धन वापस कर कार द्वारा उनके मंदिर तक भेजा गया।


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